18 April 2005

बादल

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बादल प्यारे
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बादल प्यारे बादल प्यारे
छाये नभ में हो कजरारे
कभी लाल पीले हो जाते
सारे नभ में दौड़ लगाते
काला भूरा रूप तुम्हारा
सबके मन को लगता प्यारा
एक जगह पर कभी न रुकते
करते काम कभी ना थकते

जब सूरज गरमी फैलाता
सबको है पीड़ा पहुँचाता
ऊपर से उसको ढक लेते
परोपकार की शिक्षा देते।

***

-रामसागर यादव
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2 comments:

विजय ठाकुर said...

सुंदर गीत!

Anonymous said...

This website is very nice.
khushi