22 April 2005

बालगीत

SPSPSPSPSPSPSPSP
कंतक थैयां
SPSPSPSPSPSPSPSP
कंतक थैयां
घुनूँ मनइयाँ
चंदा भागा पइयां पइयां
यह चन्दा हलवाहा है
नीले नीले खेत में
बिल्कुल सेंत मेंत में
रत्नों भरे खेत में
किधर भागता लइयां पइयां
कंतक थैयां घुनूं मनैयां........!!

मिट्टी के महलों के राजा
ताली तेरी बढ़िया बाजा
छोटा छोटा छोकरा
सिर पर रखे टोकरा
राम बनाये डोकरा
बने डोकरा करूँ बलैयां
कंतक थैयां घुनूं मनैयां......!!
***

-डॉ० राष्ट्र बंधु
EPEPEPEPEPEPE
घोड़ा
EPEPEPEPEPEPE
कसली कसली पीठ
के घोड़ा टप टप टप टप
हिलती डुलती पूँछ
कि झाड़ू झप झप झप झप
खाता दाना घास
कि बोले हिन हिन हिन हिन
मेहनत उसका काम
कि करता हर दिन हर दिन
काठी कसी लगाम
एड़ दी हुर्रम हुर्रम
नौसिखिया असवार
कि मन में थर्रम थर्रम
बैठे सीना तान
कि चाबुक चप चप चप चप
सरपट घोड़ा चला
गिरे हम धप धप धप धप
-शिव गोविन्द त्रिपाठी
SPSPSPSPSPSP

No comments: